तोहि मोहि लगन लगाय रे फकीरवा।।
सोबत ही मैं अपने मंदिर में, सबद बान मारि जगाये रे फकीरवा।।
डूबत ही भव के सागर में, बहियां पकरि समुझाये रे फकीरवा।।
एकै बचन बचन नहिं दूजा, तुम मोसे बंद छुड़ाये रे फकीरवा।।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, प्राणन प्राण लगाये रे फकीरवा।।
— गुरु कबीर साहब